महाराष्ट्र में किसानो की समस्याए कम होने का नाम नहीं ले रही है, लोगो का पेट भरने वाला किसान क़र्ज़ के कारण, बारिश न होने के कारण, फसल बरबादी, गरीबी के कारण आत्महत्या करने को मजबूर था ही किन्तु अब एक नयी समस्या ने जन्म ले लिया है | महाराष्ट्र के किसानो को कीटनाशको के कारण असामयिक मौत का सामना करना पड़ रहा हैं , जो कीटनाशक फसल में कीड़े न लगे इसलिए प्रयोग किये जाते हैं, वही कीटनाशक अब किसानो को जान ले रहे हैं |
महाराष्ट्र सरकार जल्द ही पांच बड़े कीटनाशकों पर 60 दिनों की पाबंदी लगा सकती है. यवतमाल में कीटनाशकों की वजह से 30 किसानों की मौत की एसआईटी से जांच का आदेश राज्य की फड़णवीस सरकार पहले ही दे चुकी है |
जिन पांच कीटनाशकों पर सवाल उठ रहे हैं, उनके नाम हैं-प्रोफेनोफॉस 40%+सिप्रामेथरिन 4% ईसी, फिप्रोनिल 40%+इमिडाक्लोप्रिड 40% ईसी,एसीफेट 75% एससी, डाइफेनथिरोन 50% डब्ल्यूपी और मोनोक्रोटोफॉस 36% एसएल |
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के कृषि विभाग ने पाबंदी का आदेश जारी करने से पहले लोगों से सलाह और ऐतराज बताने को कहा है | हालांकि पांच कीटनाशकों पर 60 दिन की पाबंदी लगाने के फैसले पर सवाल उठने तय हैं | आदिवासियों के लिए काम करने वाली परोमिता गोस्वामी ने बताया कि ऐसी पाबंदियां जमीनी स्तर पर कारगर नहीं होतीं | वजह ये है कि क्योंकि लोगों को पता ही नहीं होता कि किस कीटनाशक पर पाबंदी लगी है | साथ ही सिर्फ थोड़े दिनों की रोक से किसानों के कीटनाशकों का इस्तेमाल बंद करने की उम्मीद कम ही है |
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च के वैज्ञानिक अक्षय चक्रवर्ती भी दो महीने की पाबंदी को लेकर ज्यादा उत्साहिस नहीं हैं | वो कहते हैं कि ऐसे कीटनाशकों पर लंबे वक्त के लिए रोक लगनी चाहिए | कम से कम छह महीने की पाबंदी तो लगनी ही चाहिए | फिर सरकार को उस जमीन की जांच करानी चाहिए, जहां इनका इस्तेमाल हुआ हो |
कीटनाशकों पर सिर्फ दो महीने की पाबंदी लगाने की बात क्यों हो रही है |
सारे कीटनाशकों पर सावधानी या दूसरी जानकारी अंग्रेजी में लिखी होती है | ऐसे में स्थानीय अधिकारियों को किसानों को इसके इस्तेमाल में जरूरी सावधानी के बारे में बताना चाहिए. लेकिन कोई भी अधिकारी ये जिम्मेदारी नहीं निभाता|
खतरनाक केमिकल
जिन कीटनाशकों पर रोक की बात चल रही है, वो बेहद खतरनाक हैं, अगर सावधानी से इनका इस्तेमाल नहीं होता, तो ये जानलेवा साबित हो सकते हैं | इनमें से मोनक्रोटोफॉस सबसे जहरीला और घातक कहा जाता है | फसलों पर छिड़काव के बाद इसका देर तक असर रहता है | अक्षय चक्रवर्ती कहते हैं कि इसके असर से परिदों के अंडों तक पर असर पड़ता है | ये वो पक्षी हैं, जो आम तौर पर किसानों के मददगार होते हैं. ये केमिकल कुदरती माहौल को खराब करता है, क्योंकि ये पानी में और मिट्टी में रहा आता है |अक्षय चक्रवर्ती बताते हैं कि मोनोक्रोटोफॉस पर पूरी दुनिया में पाबंदी लग चुकी है |
किसानो को स्थानीय भाषा में कीटनाशक के प्रति जागरूक करना सरकार की जिम्मेदारी हैं | सरकार अगर किसानो के लिए कुछ नहीं कर सकती तो फिर